hindisamay head


अ+ अ-

कविता

चंद सिक्के

अंकिता रासुरी


लौट गए कदम लड़खड़ाते हुए
वह सिसक रही थी
आँखों मे लिए एक अजीब सी शून्यता
उसका दुधमुँहा बच्चा मुस्कुरा रहा था
पर उसके पास था ही क्या
सिवा कटोरे में पड़े चंद सिक्कों के।


End Text   End Text    End Text

हिंदी समय में अंकिता रासुरी की रचनाएँ